कई पुरुष मानते हैं कि उनकी प्रजनन क्षमता उम्र के साथ स्थिर रहती है—लेकिन आधुनिक अध्ययनों ने इसका खंडन किया है। 30 के मध्य से ही शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता और आनुवंशिक अखंडता में कमी आने लगती है, और 40 वर्ष की उम्र में यह क्षमता 50% तक गिर सकती है। इस लेख में हम जैविक प्रक्रियाएँ समझाएंगे, प्रमुख शोध निष्कर्ष संक्षेप करेंगे और बताएंगे कि कब यूरोलॉजिस्ट से परामर्श लेना चाहिए।
उम्र के साथ शुक्राणु उत्पादन का जीवविज्ञान
शुक्राणु निर्माण (स्पर्माटोज़ेनेसिस) किशोरावस्था में शुरू होता है और सैद्धांतिक रूप से जीवन भर चलता है। 20–30 वर्ष की आयु में शरीर उच्चतम गुणवत्ता वाले शुक्राणु का निर्माण करता है। 40 वर्ष के बाद यह संख्या 50% तक घट सकती है, गतिशीलता में हर साल लगभग 0.17–0.6% की कमी आती है और टेस्टोस्टेरोन के स्तर में गिरावट व ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण रूप (मॉर्फोलॉजी) प्रभावित होती है (WHO 2020)।
शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता में गिरावट
- कम संख्या: कम शुक्राणुओं से निषेचन की संभावना घटती है।
- गतिशीलता में कमी: धीमे शुक्राणु अंडाणु तक पहुँचने में असमर्थ रहते हैं।
- रूपगत परिवर्तन: आकार व संरचना में बाधाएँ अंडाणु का आवरण भेदने में मुश्किल पैदा करती हैं।
National Institutes of Health की समीक्षा में पाया गया कि 40 वर्ष के बाद DNA विरचनाएँ बढ़ जाती हैं, जिससे गर्भपात का जोखिम बढ़ता है (NIH 2015)।
क्लिनिकल संदर्भ मानक शुक्राणु पैरामीटर्स के लिए
- 15–200 मिलियन शुक्राणु/मिलीलीटर: यह सामान्य सीमा है (WHO 2018)।
- प्रति वीर्य 39 मिलियन से अधिक: प्राकृतिक गर्भाधान के लिए आदर्श मानी जाती है।
यदि मानक इन सीमाओं से लगातार कम रहें, तो खासकर परिवार योजना के लिए यूरोलॉजिस्ट से परामर्श लें।
प्रजनन क्षमता में गिरावट पर आँकड़े और अध्ययन
- गतिशीलता में कमी: 20 वर्षों में 3–12% की गिरावट (NIH 2010)।
- एपिजेनेटिक मार्कर्स: उम्र के साथ DNA मिथाइलेशन में परिवर्तन बड़े अध्ययनों में पुष्टि (PubMed 2019)।
- पूर्वकालीन प्रसव और जन्म समय का वजन: 45+ वर्ष के पिता के बच्चों में 21% अधिक पूर्वकालीन प्रसव और 24% अधिक निम्न जन्मभार (PubMed 2018)।
- न्यूरोसाइकेयाट्रिक जोखिम: बड़ी उम्र के पिता के बच्चों में ऑटिज्म और स्किज़ोफ्रेनिया का थोड़ा उच्च जोखिम (PubMed 2013)।
टेस्टोस्टेरोन में कमी और एंड्रोपॉज़
कुल टेस्टोस्टेरोन हर साल लगभग 0.8% कम होता है और मुक्त टेस्टोस्टेरोन 2% तक गिरता है, जिससे कामेच्छा घटती है, वीर्य का आयतन कम होता है और शुक्राणु परिपक्वता धीमी होती है (PubMed 2004)।
उम्र बढ़ने के साथ आनुवंशिक जोखिम
उम्र के साथ DNA विरचनाएँ व क्रोमोसोमल असामान्यताएँ बढ़ जाती हैं, जिससे गर्भपात व आनुवंशिक विकारों का जोखिम बढ़ता है (PubMed 2006)।
संतान पर प्रभाव
पिता की उम्र न केवल गर्भाधान क्षमता पर असर डालती है बल्कि पूर्वकालीन प्रसव, निम्न जन्मभार और संतान में न्यूरोसाइकेयाट्रिक जोखिम से भी जुड़ी होती है (PubMed 2013)।
कब चिकित्सा सहायता लें
WHO 2018 के अनुसार, 12 महीनों तक बिना गर्भावस्था के असंरक्षित संभोग के बाद युगल को यूरोलॉजिस्ट से मिलना चाहिए। यदि साथी की आयु 35+ है तो 6 महीने में जाँच कराएं, और यदि अंडकोष में सूजन या चोट हो तो तुरंत परामर्श लें।
निष्कर्ष
उम्र पुरुषों की प्रजनन क्षमता को कई पहलुओं में प्रभावित करती है—हार्मोनल बदलाव, आनुवंशिक जोखिम और शुक्राणु संख्या व गतिशीलता में मापने योग्य गिरावट। अपने पैरामीटर जानें और समय पर चिकित्सा मूल्यांकन से परिवार नियोजन की सफलता बढ़ जाती है।