जब गर्भधारण नहीं हो रहा हो, तो वीर्य विश्लेषण एक वस्तुपरक प्रारम्भिक जाँच है। इससे पता चलता है कि शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता और आकृति निषेचन के लिए पर्याप्त हैं या नहीं। यहाँ व्यावहारिक सार है—यथार्थवादी लागत, वर्तमान WHO मानक, स्पष्ट तैयारी और वे उपाय जिनसे वीर्य गुणवत्ता में सुधार दिखा है।
स्पर्मियोग्राम (वीर्य विश्लेषण) क्या है?
यह पुरुष प्रजनन क्षमता का लैब-आधारित मूल्यांकन है। सामान्य मापदंड:
- स्खलन मात्रा (मि.ली.)
- शुक्राणु एकाग्रता (मिलियन/मि.ली.) और कुल संख्या प्रति स्खलन
- गतिशीलता (कुल तथा प्रोग्रेसिव)
- आकृति-विज्ञान (मॉर्फोलॉजी) — सामान्य आकार वाले प्रतिशत
- जीवितता (जीवित शुक्राणु)
- pH और ल्यूकोसाइट (सूजन संकेतक)
मापन अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल से होता है और हमेशा नैदानिक संदर्भ (इतिहास, समयानुसार प्रवृत्ति, सह-निष्कर्ष) में व्याख्यायित किया जाता है।
कब वीर्य विश्लेषण करवाना उपयुक्त है?
12 महीनों तक नियमित, असुरक्षित यौन संबंधों के बाद भी गर्भधारण न हो तो जाँच सलाहनीय है। जोखिम कारकों में—जैसे वैरिकोसील, अवरोही न हुआ वृषण, कीमो/रेडियोथेरेपी के बाद—जल्दी जाँच तर्कसंगत है। संरचित कार्य-अप हेतु EAU पुरुष बाँझपन गाइडलाइन देखें।
- प्राथमिक/द्वितीयक बाँझपन
- असामान्य हार्मोन या यौवन विकार
- वासेक्टॉमी पूर्व/पश्चात जाँच
- बार-बार गर्भपात
- श्रोणि शल्यक्रिया या विकिरण थेरेपी
लागत व कवरेज (IN)
भारत में निजी प्रयोगशालाओं में सामान्यतः: लगभग ₹600–₹1,500 प्रति जाँच (शहर और पैनल पर निर्भर)। चिकित्सकीय संकेत और चिकित्सक की पर्ची होने पर कुछ योजनाओं/TPA के माध्यम से हेल्थ इंश्योरेंस आंशिक कवरेज दे सकता है; अपनी पॉलिसी व नेटवर्क शर्तें अवश्य जाँचें। फर्टिलिटी सेंटर्स अक्सर ऐसी पैकेज सेवाएँ देते हैं जिनमें पुनः-परीक्षण शामिल होता है। ध्यान दें: परिणाम बदलते रहते हैं—प्राकृतिक भिन्नता और मापन त्रुटि घटाने के लिए ~ 6 सप्ताह में एक पुनः-जाँच की योजना बनाएं।
प्रक्रिया और तैयारी
तैयारी
- 3–5 दिन संयम (तुलनात्मकता हेतु)
- तेज़ बुखार/तीव्र संक्रमण न हो; लंबे सॉना सत्र न करें
- अल्कोहल व निकोटिन कम करें; पर्याप्त नींद और तनाव-नियंत्रण
नमूना संग्रह
- हाथ और लिंग को पानी-साबुन से धोएँ
- लूब्रिकेंट/ऐडिटिव युक्त कंडोम का उपयोग न करें
- पूरा स्खलन स्टरल कंटेनर में एकत्र करें
- घर पर संग्रह होने पर नमूना शरीर-ताप (~ 37°C) पर रखें और 60 मिनट के भीतर लैब में दें
लैब में WHO मैनुअल के अनुसार मानकीकृत (माइक्रोस्कोपिक/डिजिटल) मापन किए जाते हैं।
WHO संदर्भ मान (6ठा संस्करण, 2021)
WHO संदर्भ में प्रमुख थ्रेशहोल्ड इस प्रकार हैं:
- मात्रा: ≥ 1.5 मि.ली.
- एकाग्रता: ≥ 15 मिलियन/मि.ली.
- कुल संख्या: ≥ 39 मिलियन प्रति स्खलन
- कुल गतिशीलता: ≥ 40%
- प्रोग्रेसिव गतिशीलता: ≥ 32%
- मॉर्फोलॉजी (सामान्य आकार): ≥ 4%
- जीवितता: ≥ 58%
- pH: ≥ 7.2
इनसे नीचे के मान स्वतः बाँझपन नहीं दर्शाते, पर चिकित्सकीय व्याख्या और फॉलो-अप आवश्यक होता है।
प्रयोगशाला गुणवत्ता: क्या देखें
- अक्रेडिटेशन (जैसे DIN EN ISO 15189)
- नियतकालिक बाहरी क्वालिटी एश्योरेंस/रिंग-ट्रायल
- कठोर WHO प्रोटोकॉल, लिखित SOPs
- डबल-रीडिंग या क्वालिटी-अश्यूर्ड सेकंड रिव्यू
रोगियों के लिए उपयोगी सामग्री: NHS; साक्ष्य-आधारित सिफारिशें: NICE CG156।
समय और रिपोर्ट
विश्लेषण सामान्यतः 60–120 मिनट लेता है। लिखित रिपोर्ट प्रायः 2–4 कार्यदिवस में उपलब्ध होती है—अक्सर सुरक्षित ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से, इसके बाद चिकित्सकीय चर्चा।
व्याख्या: मानों में विचलन का अर्थ
- ओलिगोज़ूस्पर्मिया — एकाग्रता कम
- एस्थेनोज़ूस्पर्मिया — गतिशीलता कम
- टेराटोज़ूस्पर्मिया — आकृति असामान्य
- क्रिप्टोज़ूस्पर्मिया — अत्यल्प एकाग्रता
- एज़ूस्पर्मिया — शुक्राणु न मिलना
प्राकृतिक उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखने हेतु सामान्यतः ~ 6 सप्ताह बाद समान तैयारी व परिस्थितियों के साथ पुनः-जाँच की सलाह दी जाती है।
सामान्य कारण
- हार्मोन विकार (टेस्टोस्टेरोन, FSH, LH, प्रोलैक्टिन)
- आनुवंशिक कारण (जैसे क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम, Y-माइक्रोडिलीशन)
- संक्रमण/सूजन (जैसे क्लैमिडिया, मम्प्स ऑर्काइटिस)
- जीवनशैली (धूम्रपान, अल्कोहल, मोटापा, दीर्घकालिक तनाव)
- ऊष्मा/पर्यावरण (तंग/गर्म कपड़े, सॉना, कीटनाशक, प्लास्टिसाइज़र, माइक्रोप्लास्टिक)
- अस्थायी कारक: बुखार, कुछ दवाएँ
संरचित मूल्यांकन में इतिहास, शारीरिक परीक्षण, हार्मोन और आवश्यक हो तो जेनेटिक्स शामिल हैं—विस्तार हेतु EAU Male Infertility देखें।
व्यावहारिक सुझाव: वीर्य गुणवत्ता कैसे सुधारें
- धूम्रपान छोड़ें और अल्कोहल घटाएँ
- वज़न सामान्य करें (5–10% कमी भी लाभकारी)
- नियमित, मध्यम व्यायाम; अति-उष्मा से बचें
- तनाव प्रबंधन (श्वास अभ्यास, नींद स्वच्छता, यथार्थ कार्यभार)
- आहार — फल/सब्ज़ियाँ, ओमेगा-3, ज़िंक; अति-प्रसंस्कृत खाद्य कम
- पूरक सावधानी से (जैसे CoQ10, L-कार्निटीन) — चिकित्सकीय परामर्श के बाद
यथार्थ समयरेखा: सुधार प्रायः कम से कम 3 माह लेते हैं—यह स्पर्मैटो-जेनिसिस के एक चक्र के बराबर है। रोगी-हितैषी मार्गदर्शिकाएँ: NHS उपचार मार्ग।
तुलना व विकल्प
| विकल्प | उद्देश्य | किन परिस्थितियों में | महत्वपूर्ण बातें |
|---|---|---|---|
| पुनः-वीर्य विश्लेषण | भिन्नता व मापन-त्रुटि घटाना | सीमांत/असंगत निष्कर्ष | ~ 6 सप्ताह का अंतर, समान तैयारी |
| हार्मोन व जेनेटिक जाँच | कारण खोज | एज़ूस्पर्मिया या अत्यधिक विचलन | कैरियोटाइप, Y-डिलीशन, FSH/LH/टेस्टोस्टेरोन |
| IUI (इंट्रायूटेरिन इन्सेमिनेशन) | प्रोसेस्ड वीर्य को गर्भाशय में रखना | हल्की एकाग्रता/गतिशीलता कमी | कम आक्रामक; सफलता दर परिवर्ती |
| IVF/ICSI | लैब में निषेचन; ICSI में एक शुक्राणु इंजेक्ट | स्पष्ट रूप से कम गुणवत्ता | पूर्ण सूचित सहमति आवश्यक; देखें HFEA और NICE |
| TESE/MESA | शल्य-क्रिया से शुक्राणु प्राप्ति | एज़ूस्पर्मिया (अवरोधी/गैर-अवरोधी) | बहु-विषयक निर्णय |
| प्रजनन क्षमता संरक्षण | गोनैडोटॉक्सिक थेरेपी से पहले क्रायो-संरक्षण | कीमो/रेडियोथेरेपी से पूर्व | समय रहते योजना व परामर्श |
डॉक्टर से कब मिलें
- नियमित असुरक्षित संबंधों के 12 महीने बाद भी गर्भधारण न हो
- प्रथम रिपोर्ट असामान्य हो या एज़ूस्पर्मिया मिले
- जोखिम कारक: वैरिकोसील, अवरोही न हुआ वृषण, कीमो/रेडियोथेरेपी
- दर्द, सूजन या संक्रमण के लक्षण
गाइडलाइन-आधारित मूल्यांकन व उपचार का सार EAU गाइडलाइन में उपलब्ध है।
मिथक बनाम तथ्य
- मिथक: “एक ही रिपोर्ट पर्याप्त है।” — तथ्य: मान बदलते हैं; ~ 6 सप्ताह बाद दोहराने से विश्वसनीयता बढ़ती है।
- मिथक: “गर्म स्नान/सॉना गुणवत्ता सुधारते हैं।” — तथ्य: ऊष्मा अक्सर गतिशीलता घटाती है; ठंडे, सांस-लेने वाले वस्त्र बेहतर।
- मिथक: “जितना अधिक व्यायाम, उतनी अधिक प्रजनन क्षमता।” — तथ्य: मध्यम गतिविधि सहायक; अति-प्रशिक्षण व ऊष्मा हानिकारक हो सकते हैं।
- मिथक: “सप्लीमेंट्स सब ठीक कर देंगे।” — तथ्य: CoQ10, L-कार्निटीन सहायक हो सकते हैं, पर कारण-खोज और जीवनशैली बदलाव का विकल्प नहीं।
- मिथक: “जितना लंबा संयम, उतना अच्छा परिणाम।” — तथ्य: सामान्यतः 2–5 दिन सर्वोत्तम; बहुत लंबा अंतर गतिशीलता/जीवितता घटा सकता है।
- मिथक: “तंग अंडरवियर से फर्क नहीं पड़ता।” — तथ्य: वृषण तापमान बढ़ता है; ढीले बॉक्सर अक्सर बेहतर।
- मिथक: “सामान्य रिपोर्ट गर्भधारण की गारंटी है।” — तथ्य: यह एक क्षणचित्र है; उर्वरता पर टाइमिंग और महिला-कारक भी प्रभाव डालते हैं।
- मिथक: “मॉर्फोलॉजी >14% ही ‘ठीक’ है।” — तथ्य: वर्तमान WHO संदर्भ ≥ 4% सामान्य आकार का उपयोग करता है; पुराने कट-ऑफ भ्रामक थे।
- मिथक: “खराब मान हमेशा खराब रहेंगे।” — तथ्य: संक्रमण/बुखार के बाद या जीवनशैली सुधार से ~ 3 महीनों में पैरामीटर बेहतर हो सकते हैं।
- मिथक: “गोद में लैपटॉप रखना सुरक्षित है।” — तथ्य: सीधी ऊष्मा वृषण ताप बढ़ाती है और गुणवत्ता घटा सकती है।
- मिथक: “कैफ़ीन/बूस्टर तुरंत ‘पुश’ देते हैं।” — तथ्य: संतुलित मात्रा ठीक; उच्च डोज, एनर्जी ड्रिंक और नींद-कमी प्रतिकूल।
- मिथक: “वैरिकोसील का ऑपरेशन हमेशा जरूरी है।” — तथ्य: चुनिंदा मामलों में लाभ; निर्णय व्यक्तिगत और गाइडलाइन-आधारित।
- मिथक: “COVID-19 स्थायी बाँझपन कर देता है।” — तथ्य: अस्थायी गिरावट हो सकती है; मान अक्सर कुछ महीनों में सामान्य होते हैं।
- मिथक: “DNA फ्रैगमेंटेशन टेस्ट सभी के लिए आवश्यक है।” — तथ्य: यह विशिष्ट स्थितियों (जैसे बार-बार गर्भपात) में ऐड-ऑन है, सभी के लिए रूटीन नहीं।
निष्कर्ष
वीर्य विश्लेषण स्थिति का स्पष्ट आकलन देता है। WHO संदर्भ ढाँचा तय करते हैं, पर निर्णय समग्र नैदानिक दृष्टि—प्रवृत्ति, इतिहास और पार्टनर मूल्यांकन—पर निर्भर करता है। अनेक कारक परिवर्तनीय हैं; यथार्थ अपेक्षाएँ, लक्षित जीवनशैली-सुधार और आवश्यक होने पर आधुनिक प्रजनन-चिकित्सा से, आप परामर्श के लिए बेहतर तैयार रहेंगे।

