प्री-इम्प्लान्टेशन जेनेटिक टेस्टिंग (PGT) इन-विट्रो फर्टिलाइज़ेशन से बने भ्रूणों की गर्भाशय में प्रत्यारोपण से पहले आनुवंशिक जाँच की सुविधा देती है। यदि किसी दंपती में गंभीर आनुवंशिक रोग या बार-बार गर्भपात का उच्च जोखिम हो, तो यह तकनीक स्वस्थ शिशु के जन्म की संभावना को काफी बढ़ा सकती है। भारत में PGT, असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (विनियमन) अधिनियम 2021 और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के दिशा-निर्देशों के तहत मान्य है, जिससे पंजीकृत क्लीनिक सख़्त लैब और काउंसलिंग मानकों का पालन करते हैं।
त्वरित शब्दावली
- PGT / PGD – प्रत्यारोपण से पूर्व एकल भ्रूण कोशिकाओं की आनुवंशिक जाँच
- PGT-M – थैलेसीमिया या सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसी एकल-जीन बीमारियों की जाँच
- PGT-A – गुणसूत्र संख्या में गड़बड़ी (एन्यूप्लॉयडी) की जाँच
- niPGT-A – कल्चर माध्यम में मुक्त DNA का नॉन-इनवेसिव विश्लेषण
किन्हें PGT पर विचार करना चाहिए?
- साबित रोग-कारक म्यूटेशन, ≥ 25 % वंशानुगत जोखिम के साथ
- महत्वपूर्ण क्रोमोसोम पुनर्व्यवस्था, जैसे रॉबर्टसोनियन या रेसिप्रोकल ट्रांसलोकेशन
- दो या अधिक अस्पष्ट गर्भपात, उपचार के बावजूद
- मातृ आयु 37 वर्ष से अधिक और PGT-A द्वारा गर्भपात जोखिम घटाने की इच्छा
छह-चरणीय प्रक्रिया
- अंडाशय उत्तेजन – 8–12 दिन हार्मोन इंजेक्शन
- एग रिट्रीवल – अल्प नार्कोसिस में ट्रांस-वजाइनल प्रक्रिया
- इन-विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF या ICSI)
- भ्रूण कल्चर व बायोप्सी – पाँचवें दिन, 5–10 कोशिकाएँ निकालना niPGT-A में बायोप्सी की बजाय मुक्त DNA विश्लेषित किया जाता है
- जेनेटिक विश्लेषण – नेक्स्ट-जेन सीक्वेंसिंग, 24–48 घंटे में परिणाम
- ट्रांसफ़र अथवा आनुवंशिक रूप से सामान्य भ्रूणों का क्रायो-स्टोरेज
2025 के तकनीकी रुझान
- niPGT-A – बायोप्सी तनाव के बिना तुलनीय सटीकता
- AI + टाइम-लैप्स इमेजिंग – एल्गोरिद्म विभाजन पैटर्न को DNA डेटा के साथ स्कोर करते हैं
- eSET 2.0 – एकल भ्रूण ट्रांसफ़र + PGT-A, जुड़वां जोखिम घटाता है
भारत में नियामकीय ढाँचा
- ART अधिनियम 2021 के तहत हर ART क्लीनिक व बैंक का पंजीकरण अनिवार्य
- PGT सिर्फ ICMR-मान्यता प्राप्त IVF लैब में प्रशिक्षित जेनेटिसिस्ट द्वारा
- लिंग चयन प्रतिबंधित, सिवाय X-लिंक्ड घातक स्थितियों के
- क्लीनिक को PGT की सीमाएँ, गलत-सकारात्मक दर व लागत लिखित रूप में बतानी होती हैं
स्वीकृत सेंटरों की सूची नेशनल ART रजिस्ट्री (NARI) पोर्टल पर तिमाही अपडेट के साथ उपलब्ध है।
भारत में आम लागत 2025
- मूल IVF साइकिल – ₹1.8 – 2.5 लाख
- हार्मोन दवाएँ – ₹60 000 – 90 000
- PGT-M या PGT-A पैनल – ₹1 – 1.5 लाख प्रति बैच
- फ्रीज़ व स्टोरेज – लगभग ₹25 000 प्रति वर्ष
- वैकल्पिक ऐड-ऑन
- niPGT-A अपग्रेड – ₹70 000 – 1 लाख
- टाइम-लैप्स मॉनिटरिंग – ₹35 000 – 50 000
सामान्य स्वास्थ्य-बीमा योजनाएँ IVF या PGT को प्रायः कवर नहीं करतीं; कुछ प्रीमियम प्लान आंशिक प्रतिपूर्ति दे रहे हैं, अतः पूर्व-अनुमोदन लेना आवश्यक है।
सफलता दर और जोखिम
इंडियन सोसाइटी फॉर असिस्टेड रिप्रोडक्शन (ISAR) के अनुसार (NARI वार्षिक रिपोर्ट 2024) देश में औसत लाइव-बर्थ दर लगभग 24 % प्रति ट्रांसफ़र है, जबकि 35 वर्ष से कम आयु वाली महिलाओं में यह लगभग 37 % है। एक वैश्विक मेटा-विश्लेषण (PGT-A रिव्यू 2023) दर्शाता है कि 38 वर्ष से अधिक की महिलाओं में PGT-A से गर्भपात लगभग 25 % घटता है।
- गलत-सकारात्मक रिपोर्ट – मॉज़ेक भ्रूणों में ~5 % तक गलत वर्गीकरण हो सकता है
- बायोप्सी जोखिम – अनुभवी लैब में आधुनिक ट्रोफेक्टोडर्म बायोप्सी से प्रभाव नगण्य
- हार्मोनल साइड-इफ़ेक्ट – नई प्रोटोकॉल से OHSS खतरा 1 % से कम
- मानसिक तनाव – परिणाम की प्रतीक्षा तनावपूर्ण हो सकती है; काउंसलिंग उपयोगी
भारतीय दंपतियों के लिए व्यावहारिक सुझाव
- विस्तृत कोटेशन लें – पैकेज दरें क्लीनिक-to-क्लीनिक बदलती हैं
- बीमा या कंपनी-कवर शीघ्र जाँचें – लिखित अनुमोदन आवश्यक
- प्रमाणित जेनेटिक काउंसलर से मिलें – PGT की वास्तविक आवश्यकता स्पष्ट होती है
- एक से अधिक चक्र का बजट बनाएं – दो या अधिक प्रयास सामान्य हैं
- भावनात्मक सहारा लें – ऑनलाइन समूह, फ़र्टिलिटी काउंसलर, माइंडफ़ुलनेस तकनीकें
अंतरराष्ट्रीय तुलना 2025
संयुक्त राज्य
- कोई संघीय प्रतिबंध नहीं; PGT-A सामान्य ऐड-ऑन
- अतिरिक्त लागत : US$4 000 – 6 000
ब्रिटेन
- HFEA द्वारा विनियमित; गैर-चिकित्सीय लिंग चयन निषिद्ध
- PGT-A ऐड-ऑन : £3 000 – 4 500
जर्मनी
- उच्च आनुवंशिक जोखिम पर ही अनुमति, कड़ी एथिक्स समीक्षा
- कुल लागत : €9 000 – 12 000 प्रति चक्र
स्विट्ज़रलैंड
- 2017 से वैध; PGT-A शामिल
- लागत : CHF 2 000 – 5 000 + IVF
थाईलैंड
- लोकप्रिय मेडिकल-टूरिज़्म गंतव्य
- PGT-A पैकेज US$2 500 से; JCI-मान्यता प्राप्त लैब उपलब्ध
निष्कर्ष
प्री-इम्प्लान्टेशन जेनेटिक टेस्टिंग भारत में आनुवंशिक जोखिम वाले परिवारों को स्वस्थ शिशु की यथार्थवादी राह प्रदान करती है। 2025 में उन्नत सीक्वेंसिंग और भ्रूण-असेसमेंट तकनीक से सटीकता पहले से कहीं अधिक है, पर चिकित्सा, वित्त और भावनात्मक दृष्टि से यह यात्रा अभी भी चुनौतीपूर्ण है। पारदर्शी लागत, योग्य काउंसलिंग और यथार्थवादी अपेक्षाएँ सूचित निर्णय लेने की बुनियादी शर्तें हैं।