बहुतों का सवाल होता है: क्या बिना स्खलन (इजैक्युलेशन) के भी गर्भ ठहर सकता है? यदि केवल पूर्वस्खलन द्रव (कभी “प्री-इजैक्युलेट” कहा जाता है) योनि में पहुँच जाए, तो क्या जोखिम है—विशेषकर अंडोत्सर्जन (ओव्यूलेशन) के दिन? क्या इसमें सचमुच शुक्राणु हो सकते हैं? यह लेख स्पष्ट करता है: पूर्वस्खलन द्रव क्या है, कब और क्यों निकलता है, इसमें क्या पाया जा सकता है, गर्भधारण व संक्रमण का जोखिम कितना है तथा प्रभावी गर्भनिरोध के विकल्प कौन‑से हैं।
पूर्वस्खलन द्रव क्या है?
पूर्वस्खलन द्रव (प्री-इजैक्युलेट) एक साफ़, चिकना तरल है जो स्खलन से पहले यौन उत्तेजना के दौरान स्वतः निकल सकता है। यह काउपर (बल्बोयूरेथ्रल) ग्रंथियों से बनता है और मूत्रमार्ग से बाहर आता है – अक्सर व्यक्ति को महसूस भी नहीं होता।
इसकी मात्रा व्यक्ति अनुसार बहुत भिन्न हो सकती है: कभी केवल एक बूंद, तो कभी कई मिलीलीटर। इसमें मुख्यतः पानी, म्यूकस, एंज़ाइम और कुछ खनिज होते हैं। हल्का क्षारीय pH मूत्रमार्ग में रह गए अम्लीय अवशेषों को निरस्त कर वीर्य (सीमन) के शुक्राणुओं के लिए अधिक अनुकूल वातावरण तैयार कर सकता है।
यह कब निकलता है?
यह सामान्यतः तीव्र यौन उत्तेजना के दौरान चरमसुख (ऑर्गैज़्म) से पहले निकलता है और कभी-कभी एक से अधिक बार भी आ सकता है—चाहे केवल पूर्वक्रिया हो या संभोग चल रहा हो। कुछ में यह बहुत कम, कुछ में अपेक्षाकृत अधिक बनता है। यह एक अनैच्छिक (इन्वॉलन्टरी) शारीरिक प्रतिक्रिया है जिसे रोका या नियंत्रित नहीं किया जा सकता।
क्या इसमें शुक्राणु होते हैं?
यह द्रव स्वयं वृषण (टेस्टिस) में नहीं बनता, इसलिए सामान्यतः इसमें शुक्राणु नहीं होते। किंतु शोध दर्शाते हैं कि यह कभी-कभी पिछले स्खलन के बाद मूत्रमार्ग में बचे हुए शुक्राणुओं को बाहर बहा सकता है या उत्तेजना के दौरान अल्प मात्रा में वीर्य साथ ला सकता है।
कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय (सैन फ्रांसिस्को) के एक अध्ययन में लगभग 41% नमूनों में शुक्राणु पाए गए तथा उनमें से करीब 37% सक्रिय (गतिशील) थे। पुष्ट वसेक्टॉमी (दो लगातार नकारात्मक शुक्राणु परीक्षण) के बाद प्री‑इजैक्युलेट सामान्यतः शुक्राणु‑मुक्त होता है।
क्या इससे गर्भधारण संभव है?
हाँ। पूर्वस्खलन द्रव से भी गर्भ ठहरना संभव है, यद्यपि औसत जोखिम पूर्ण स्खलन की तुलना में कम रहता है। कुछ सक्रिय शुक्राणु भी उपजाऊ अवधि (विशेषकर अंडोत्सर्जन के दिन) मौजूद हों तो निषेचन करा सकते हैं।
क्लियरब्लू के अनुसार महिला जनन मार्ग, खासकर उपजाऊ गर्भाशय ग्रीवा के म्यूकस में, शुक्राणु अधिकतम 5 दिन तक जीवित रह सकते हैं। इसका अर्थ है कि अगर पूर्वस्खलन द्रव शुक्राणु ले जा रहा है तो संभोग के कई दिन बाद तक गर्भधारण संभव बना रहता है।
विदड्रॉअल (Coitus interruptus) की प्रभावशीलता को पर्ल इंडेक्स द्वारा 4–18 (टिपिकल उपयोग) दर्शाया जाता है—अर्थात् एक वर्ष में 100 में से अधिकतम 18 उपयोगकर्ताओं में गर्भधारण हो सकता है। यह अंतर समय से पहले बाहर निकालने में चूक, तथा पूर्वस्खलन द्रव में संभावित शुक्राणुओं के कारण है।
क्या यह यौन संचारित संक्रमण फैला सकता है?
हाँ। इसमें क्लैमाइडिया, गोनोरिया, एचपीवी, हर्पीज़ (HSV) और एचआईवी जैसे यौन संचारित संक्रमण (STIs) के रोगजनक हो सकते हैं। कंडोम जोखिम को उल्लेखनीय रूप से घटाते हैं, पर पूर्णतः समाप्त नहीं करते (त्वचा‑से‑त्वचा प्रसार या अधूरा उपयोग)।
गर्भधारण से बचाव के तरीके
बैरियर विधियाँ: लेटेक्स / नॉन‑लेटेक्स कंडोम गर्भधारण व कई यौन संक्रमणों से दोहरा संरक्षण देते हैं—इन्हें यौन संपर्क शुरू होने से पहले पहनें।
हार्मोनल विकल्प:
- मौखिक गर्भनिरोधक गोलियाँ — प्रतिदिन नियमित समय पर; सही उपयोग पर अत्यंत प्रभावी।
- योनि रिंग / ट्रांसडर्मल पैच — मासिक / साप्ताहिक परिवर्तन।
- हार्मोनल आईयूडी — 3–5 वर्ष; पर्ल इंडेक्स लगभग 0.2 से कम।
- इम्प्लांट / इंजेक्शन — दीर्घकालिक, कम रख‑रखाव।
गैर‑हार्मोनल व आपातकालीन: कॉपर आईयूडी (10 वर्ष तक, पर्ल इंडेक्स कम) / कॉपर चेन तथा आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियाँ (असुरक्षित यौन संबंध के बाद यथाशीघ्र—प्रकार अनुसार 72–120 घंटों के भीतर)।

निष्कर्ष
पूर्वस्खलन द्रव कभी‑कभी शुक्राणु एवं यौन संक्रमण से जुड़े रोगजनक वहन कर सकता है। इसलिए केवल विदड्रॉअल पर भरोसा गर्भधारण रोकने या STI सुरक्षा के लिए पर्याप्त नहीं है। उपजाऊ दिनों में अल्प मात्रा के सक्रिय शुक्राणु भी गर्भ ठहरा सकते हैं। निरंतर और सही उपयोग वाला विश्वसनीय गर्भनिरोधक (और STI जोखिम हेतु कंडोम) सर्वोत्तम सुरक्षा प्रदान करते हैं।