शुक्राणु दान इस्लाम में जायज़/नाजायज़ है या नहीं—इसका मूल्यांकन फ़िक़्ही स्कूलों और देशों में अलग‑अलग है। फिर भी तीन स्थिर सिद्धांत बने रहते हैं: सुव्यवस्थित व दस्तावेजीकृत नसब (वंश), निकाह को वैध प्रजनन‑परिप्रेक्ष्य और शोषण से बचाव। यह लेख पारम्परिक व आधुनिक मतों को समेटता है, विभिन्न देशों की प्रथा समझाता है और दिखाता है कि इस्लामी नैतिकता व प्रजनन‑चिकित्सा कैसे साथ चल सकती हैं। आरम्भिक पठन: इस्लाम में ART का अवलोकन (NCBI Bookshelf), सुन्नी दृष्टिकोण का क्लिनिकल सार (PubMed) और WHO का बाँझपन तथ्य‑पत्र (WHO).
मूल शब्दावली व मार्गदर्शक सिद्धांत
हिफ़्ज़ अल‑नसल (वंश‑संरक्षण):मक़ासिदुश‑शरीअ में वंश की हिफ़ाज़त शामिल है—स्पष्ट मूल, वंश‑रेखाओं के मिश्रण से बचाव और बच्चे के अधिकारों की रक्षा।
“अल‑वलद लिल‑फ़िराश” — बच्चा विवाह‑शय्या का है: वंश को निकाह के संदर्भ से जोड़ा जाता है। तृतीय‑पक्ष दान इस सिद्धांत को तोड़ता है क्योंकि आनुवांशिक और सामाजिक पितृत्व अलग हो जाते हैं।
निकाह पूर्व‑शर्त: ART तभी जाइज़ है जब शुक्राणु, अण्डाणु और गर्भाशय वैध दम्पति के हों और निकाह वैध बना रहे।
सद्द अल‑ज़राइ’ (हानिकारक साधनों का अवरोध): अनाम दान, सरोगेसी और व्यावसायिक मॉडल इसलिए अस्वीकार्य माने जाते हैं ताकि वंश, पारिवारिक व्यवस्था और बाल‑हित प्रभावित न हों।
फ़िक़्ही स्कूल व धाराएँ
सुन्नी स्कूल (हनाफ़ी, मालिकी, शाफ़ई, हंबली)
विस्तृत सहमति: न शुक्राणु‑/अण्डाणु‑दान, न सरोगेसी। IVF व ICSI जैसी तकनीकें उस समय जायज़ मानी जाती हैं जब समस्त जैविक योगदान दम्पति से हों और निकाह कायम हो (NCBI Bookshelf).
शिया क़ानूनी परम्परा (जाफ़री स्कूल)
कुछ शिया विद्वान कड़े, सीमित अपवादों पर बहस करते हैं—बशर्ते वंश स्पष्ट रूप से दस्तावेजीकृत हो, गुमनामी न हो और अधिकार‑कर्तव्यों का अनुबन्ध हो। ईरान प्रमुख उदाहरण है: भ्रूण‑दान 2003 से क़ानूनी है; शुक्राणु‑दान संसद‑क़ानून में स्पष्ट नहीं, पर धार्मिक‑क़ानूनी विमर्श में आता है (PMC).
अन्य धाराएँ
इबादी स्कूल (ओमान): अत्यन्त रुढ़िवादी, सुन्नी रेखा के समीप।
ज़ैदी परम्परा (यमन): स्पष्ट वंश पर बल; तृतीय‑पक्ष भागीदारी अधिकांशतः अस्वीकार।
इस्माइली समुदाय: आधुनिक प्रजनन‑मुद्दों पर विमर्श; व्यावहार में अधिकतम पारदर्शिता व दस्तावेज़ीकरण।
सलफ़ी व अहल‑हदीस धारा: वंश व वैवाहिक व्यवस्था की सुरक्षा हेतु किसी भी तृतीय‑पक्ष को ठोस रूप से अस्वीकार।
प्रमुख स्रोत व संस्थान
शास्त्रीय फ़िक़्ह ग्रन्थों के साथ‑साथ फ़तवा परिषदें व फ़िक़्ह अकादमियाँ आधुनिक मूल्यांकन को आकार देती हैं। इंटरनेशनल इस्लामिक फ़िक़्ह अकादमी (OIC) का निष्कर्ष: ART निकाह के भीतर जायज़; तृतीय‑पक्ष सहभाग और सरोगेसी निषिद्ध; जमे हुए पदार्थ का प्रयोग केवल वैध निकाह‑अवधि में (IIFA निर्णय). देशों के अवलोकन व प्रथा‑तुलनाएँ Middle East Fertility Society Journal में मिलती हैं (समीक्षा).
ART, शुक्राणु‑दान व सम्बन्धित प्रक्रियाएँ
पति के शुक्राणु से कृत्रिम गर्भाधान (AIH)
सभी स्कूलों में जायज़, बशर्ते निकाह वैध हो, वंश स्पष्ट रहे और कोई तृतीय‑पक्ष न हो।
दाता के शुक्राणु से गर्भाधान (AID)
अधिकांशतः नाजायज़, क्योंकि यह आनुवांशिक व सामाजिक पितृत्व को अलग कर देता है। शिया विमर्श में कुछ सीमित अपवाद; पर न गुमनामी, न व्यापारिक मॉडल।
सरोगेसी
लगभग सर्वसम्मति से अस्वीकार्य — भले ही गमेट्स दम्पति के हों — क्योंकि तीसरा गर्भाशय शामिल होता है और मातृत्व/वंश अस्पष्ट हो सकता है।
क्रायो‑संरक्षण
निकाह के दौरान स्वीकार्य; तलाक़ या मृत्यु के बाद प्रयोग वर्जित (PubMed).
PGD/PGT (पूर्व‑रोपण आनुवांशिक जाँच)
चिकित्सीय संकेत पर स्वीकार्य — जैसे गम्भीर वंशानुगत रोगों से बचाव; गैर‑चिकित्सीय चयन (जैसे लिंग‑चयन) व्यापक रूप से अस्वीकार्य।
देश‑प्रोफ़ाइल व क्षेत्रीय प्रथा
अरबी प्रायद्वीप व पूर्वी भूमध्य: सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, कुवैत, बहरीन, ओमान, जॉर्डन और लेबनान में क्लिनिकल प्रथा धार्मिक अकादमियों के निर्णयों के निकट चलती है। निकाह के भीतर अपने‑अपने पदार्थ से निषेचन जायज़; तृतीय‑पक्ष शुक्राणु‑दान व सरोगेसी अनुपयुक्त मानी जाती है। ओमान में इबादी परम्परा के कारण रूढ़ रेखा अपनाई जाती है। संप्रदाय‑मिश्रित संदर्भ—जैसे लेबनान—में आन्तरिक बहसें हैं; सेवाएँ फिर भी अधिकतर संयत रहती हैं।
उत्तरी अफ्रीका: मिस्र, मोरक्को, ट्यूनीशिया और अल्जीरिया अधिकतर अल‑अज़हर की रेखा का अनुसरण करते हैं। तृतीय‑पक्ष दान व सरोगेसी निषिद्ध; निकाह के भीतर ART व्यापक। सुधार‑विमर्श होते हैं पर मूल रुख़ अपरिवर्तित।
तुर्की: तृतीय‑पक्ष दान क़ानूनी रूप से वर्जित; अपने पदार्थ के साथ IVF/ICSI अनुमत। कुछ दम्पति विदेश जाते हैं—क्रॉस‑बॉर्डर ART के प्रश्न उठते हैं।
ईरान: भ्रूण‑दान 2003 से क़ानूनी। शुक्राणु‑दान संसद‑क़ानून में स्पष्ट नहीं, पर कुछ विद्वानों द्वारा शर्तों के साथ चर्चा‑योग्य। विवाद‑बिन्दु: खुलासा, उत्तराधिकार, अभिभावकत्व।
मलेशिया: राष्ट्रीय दिशानिर्देश व फ़तवे गमेट‑दान निषिद्ध करते हैं, पर निकाह के भीतर ART मान्य; नीतिगत सुसंगति का उदाहरण।
इंडोनेशिया: राज्य‑क़ानून व उलेमा काउंसिल के फ़तवे दान व सरोगेसी निषिद्ध करते हैं। निकाह‑परिघटना में IVF अनुमत व बड़े केन्द्रों में स्थापित।
यूरोप/उत्तरी अमेरिका की डायस्पोरा: चिकित्सकीय रूप से दान व सरोगेसी उपलब्ध, धार्मिक रूप से विवादित। कई मुस्लिम दम्पति अपने पदार्थ, पारदर्शी वंश‑दस्तावेज़ीकरण और धार्मिक परामर्श को प्राथमिकता देते हैं; UK में HFEA सूचना‑अधिकार को स्पष्ट करती है।
देश‑वार सारणी (संकेतात्मक, धार्मिक‑नैतिक प्रथा)
यह सारणी धार्मिक‑नैतिक दिशानिर्देश संक्षेपित करती है (क़ानूनी सलाह नहीं)। निर्णायक संदर्भ: फ़तवे, क्लिनिक‑प्रोटोकॉल और राष्ट्रीय नीतियाँ। स्थानीय अद्यतन नियम हमेशा जाँचें।
| देश/क्षेत्र | प्रमुख परम्परा | तृतीय‑पक्ष दान (शुक्राणु/अण्डाणु) | IVF/ICSI (दम्पति के गमेट्स) | सरोगेसी | टिप्पणी (प्रथा) |
|---|---|---|---|---|---|
| सऊदी अरब | सुन्नी | निषिद्ध | अनुमत | निषिद्ध | IIFA/OIC‑अनुरूप रेखा। |
| संयुक्त अरब अमीरात | सुन्नी | निषिद्ध | अनुमत | अधिकांशतः निषिद्ध | निकाह‑साबिती व लाइसेंसिंग सख़्त। |
| कतर | सुन्नी | निषिद्ध | अनुमत | निषिद्ध | स्पष्ट नीतियों वाली सार्वजनिक क्लिनिकें। |
| कुवैत | सुन्नी | निषिद्ध | अनुमत | निषिद्ध | एथिक्स कौंसिल प्रभावी। |
| बहरीन | मिश्रित | अधिकांशतः निषिद्ध | अनुमत | निषिद्ध | सम्प्रदाय अनुसार प्रथा विविध। |
| ओमान | इबादी/सुन्नी | निषिद्ध | अनुमत | निषिद्ध | रूढ़ कार्यान्वयन। |
| जॉर्डन | सुन्नी | นिषिद्ध | अनुमत | निषिद्ध | फ़तवा‑निर्देशित प्रैक्टिस। |
| लेबनान | मिश्रित | अधिकांशतः निषिद्ध | अनुमत | निषिद्ध | शिया अपवादों पर बहस। |
| मिस्र | सुन्नी | निषिद्ध | अनुमत | निषिद्ध | अल‑अज़हर की मार्गदर्शक भूमिका। |
| मोरक्को | सुन्नी | निषिद्ध | अनुमत | निषिद्ध | नियमावली विस्तारशील। |
| ट्यूनीशिया | सुन्नी | अधिकांशतः निषिद्ध | अनुमत | निषिद्ध | सुधार‑इतिहास, पर रुढ़ रुख़। |
| अल्जीरिया | सुन्नी | निषिद्ध | अनुमत | निषिद्ध | रूढ़ क्लिनिकल प्रथा। |
| तुर्की | सुन्नी | निषिद्ध | अनुमत | निषिद्ध | तृतीय‑पक्ष दान पर स्पष्ट कानूनी प्रतिबन्ध। |
| ईरान | शिया | विचाराधीन/सीमित | अनुमत | अधिकांशतः निषिद्ध | भ्रूण‑दान क़ानूनी (2003)। |
| पाकिस्तान | सुन्नी | निषिद्ध | अनुमत | निषिद्ध | क्षेत्रानुसार उपलब्धता भिन्न। |
| बांग्लादेश | सुन्नी | निषिद्ध | अनुमत | निषिद्ध | फ़तवा‑अनुरूप प्रक्रियाएँ। |
| मलेशिया | सुन्नी | निषिद्ध | अनुमत | निषिद्ध | राष्ट्रीय व क्लिनिक दिशानिर्देश स्पष्ट। |
| इंडोनेशिया | सुन्नी | निषिद्ध | अनुमत | निषिद्ध | क़ानून/फ़तवे दान को निषिद्ध करते हैं। |
| यूरोप/उत्तरी अमेरिका | मिश्रित | चिकित्सकीय रूप से उपलब्ध; धार्मिक रूप से विवादित | अनुमत | धार्मिक रूप से विवादित | अनामिता की जगह खुला दस्तावेज़ीकरण। |
डायस्पोरा व क्लीनिकल वास्तविकता
पश्चिमी देशों में मुस्लिम दम्पतियों के सामने विशेष निर्णय आते हैं। चिकित्सकीय तौर पर दान व सरोगेसी उपलब्ध, पर धार्मिक रूप से विवादित। व्यवहार में अपने पदार्थ के साथ उपचार, पारदर्शी वंश‑दस्तावेज़ीकरण और धार्मिक मार्गदर्शन उपयोगी रहे हैं। सूचना व खुलापन के नैतिक ढाँचे हेतु ESHRE की सिफारिश देखी जा सकती है; UK में HFEA सूचना‑अधिकार विन्यस्त करती है।
व्यावहारिक चेकलिस्ट
- निकाह व अभिग्रहण: प्रमाण कि शुक्राणु, अण्डाणु व गर्भाशय दम्पति के हैं; जमे भ्रूणों का उपयोग केवल वैध निकाह‑अवधि में।
- खुला मूल (ओपन ओरिजिन): यदि खुले‑मूल मॉडल अपनाएँ तो दस्तावेजीकरण व ट्रेसएबिलिटी सुनिश्चित करें; बच्चे को प्रासंगिक स्वास्थ्य‑सूचना तक पहुँच का अधिकार हो (देखें HFEA).
- अनुबंधीय सुरक्षा: अभिभावकता, भरण‑पोषण तथा उत्तराधिकार/ अभिभावकत्व स्पष्ट करें; सहमतियों को पारदर्शी रूप से दर्ज करें।
- धार्मिक परामर्श: आरम्भिक आध्यात्मिक/धार्मिक साथ विश्वास बढ़ाता है व निर्णय आसान बनाता है।
- व्यावसायीकरण से बचाव: केवल युक्तिसंगत व्यय‑प्रतिपूर्ति; लाभ‑लोलुपता/शोषण नहीं।
- चिकित्सीय संकेत: PGD/PGT केवल स्पष्ट स्वास्थ्य‑आवश्यकता पर।
RattleStork — इस्लामी ढाँचे में ज़िम्मेदार योजना
RattleStork धार्मिक‑संवेदी, पारदर्शी और सुसंगत दस्तावेजीकरण के साथ पेरेंटहुड‑कदमों को संगठित करने में मदद करता है — जैसे AIH/IVF अपने पदार्थ से, और जहाँ धार्मिक व क़ानूनी रूप से अनुमत हो, खुले, गैर‑अनाम मॉडल। सत्यापित प्रोफ़ाइल, सुरक्षित संवाद व समय‑सूची, नोट्स और चेकलिस्ट जैसे औज़ार एक हलाल‑उन्मुख योजना में सहायक हैं। RattleStork चिकित्सा/क़ानूनी परामर्श नहीं देता और किसी फ़तवा का विकल्प नहीं है।

निष्कर्ष
अधिकांश इस्लामी मत शुक्राणु‑दान व सरोगेसी को अस्वीकार करते हैं; जायज़ वही प्रक्रियाएँ हैं जो वैध निकाह में दम्पति के गमेट्स से हों। शिया विमर्श में कुछ सख्त, सीमित अपवाद — विशेषकर ईरान में भ्रूण‑दान — मिलते हैं, पर हमेशा कठोर वंश‑सुरक्षा व बिना अनामिता के। समग्र रूप से केन्द्रीय बिन्दु: वंश‑सुरक्षा, निकाह‑फ़्रेम, व्यावसायीकरण से बचाव और स्वच्छ दस्तावेजीकरण। आगे पढ़ें: NCBI Bookshelf, PubMed, IIFA निर्णय, MEFJ समीक्षा और WHO।

