भारत में वीर्यदान कानूनी और विनियमित है—लेकिन केवल पंजीकृत एआरटी (Assisted Reproductive Technology) क्लिनिक/बैंक के माध्यम से। यह गाइड बताता है कि क्या अनुमत है, क्या निषिद्ध/प्रतिबंधित है, क्लिनिक-आधारित दान और निजी/घर पर की जाने वाली व्यवस्थाओं में क्या फर्क है, कानूनी माता-पिता किसे माना जाता है, दान से जन्मे व्यक्ति कौन-सी जानकारी कब पा सकते हैं, और व्यवहार में कहाँ-कहाँ कानूनी/चिकित्सीय जोखिम छुपे रहते हैं। हम सीधे अधिनियम/नियम और सरकारी पोर्टल से लिंक देते हैं: एआरटी अधिनियम, 2021, एआरटी नियम, 2022, राष्ट्रीय एआरटी एवं सरोगेसी पोर्टल, तथा संदर्भ व्याख्या हेतु PRS India – एआरटी बिल संक्षेप।
मुख्य कानूनी ढाँचा (भारत)
एआरटी अधिनियम, 2021 और एआरटी नियम, 2022 एआरटी क्लिनिक/बैंकों का पंजीकरण, जाँच-पड़ताल, सहमति, रिकॉर्ड-रखरखाव और राष्ट्रीय रजिस्ट्री को रिपोर्टिंग अनिवार्य करते हैं (कानूनी पाठ: अधिनियम; नियम: Rules 2022). अधिनियम के अनुसार एआरटी सेवाएँ सामान्यतः 21–50 वर्ष आयु की स्त्री और 21–55 वर्ष आयु के पुरुष पर लागू की जाती हैं (धारा 21(ग)).
- दाताओं की पात्रता/आयु: एआरटी बैंक वीर्य 21–55 वर्ष के पुरुषों से प्राप्त कर सकते हैं; पहचान, चिकित्सीय इतिहास और स्क्रीनिंग अनिवार्य (PRS India).
- गोपनीयता और अभिलेख: क्लिनिक/बैंक विस्तृत रिकॉर्ड रखते हैं और राष्ट्रीय रजिस्ट्री को रिपोर्ट करते हैं; दाता-पहचान गुप्त रखी जाती है (Rules 2022).
- लिखित सूचित सहमति: किसी भी प्रक्रिया से पहले सभी पक्षों की लिखित सहमति आवश्यक है (धारा 22).
- लिंग-चयन निषिद्ध: सेक्स-सेलेक्शन प्रतिबंधित है; संबंधित दंड लागू (अधिनियम).
क्लिनिक दान बनाम घर/निजी व्यवस्था
पंजीकृत एआरटी क्लिनिक/बैंक
- कानूनी मातृत्व/पितृत्व: क्लिनिक-आधारित और विधिवत सहमति के साथ, दाता को कानूनी माता-पिता नहीं माना जाता; अभिभावकत्व इच्छुक दम्पति/महिला पर स्थापित होता है (नीति-ढाँचा: अधिनियम).
- स्क्रीनिंग/ट्रेसेबिलिटी: एचआईवी, हेपेटाइटिस B/C, सिफलिस व अन्य एसटीआई परीक्षण, गुणवत्ता नियंत्रण, तथा ट्रैक-एंड-ट्रेस रिकॉर्ड अनिवार्य (Rules 2022).
- राष्ट्रीय रजिस्ट्री: नामांकन, प्रक्रिया-विवरण और परिणामों की नियमित रिपोर्टिंग आवश्यक (National ART & Surrogacy Portal).
घर/निजी (होम-इंसिमिनेशन)
- कानूनी जोखिम: पंजीकृत ढाँचे के बाहर दान प्राप्त/उपयोग करना अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करा सकता है; वंश/भरण-पोषण/गोपनीयता विवाद उभर सकते हैं (कानूनी ढाँचा: एआरटी अधिनियम).
- चिकित्सीय जोखिम: मानक स्क्रीनिंग, क्वारंटीन और चेन-ऑफ-कस्टडी नहीं; संक्रमण/ट्रेसेबिलिटी का जोखिम ऊँचा।
भारत में कौन-कौन दाता-वीर्य का उपयोग कर सकते हैं?
एआरटी सेवाएँ क्लिनिकल उपयुक्तता के अधीन विवाहित दम्पति या महिला (21–50 वर्ष) के लिए उपलब्ध हैं; पात्रता/नीतियाँ संस्थान-विशिष्ट हो सकती हैं (क़ानूनी परिभाषाएँ व आयु: एआरटी अधिनियम). सरोगेसी के लिए अलग, अधिक कड़े नियम लागू हैं—2023/2024 संशोधनों में डोनर गैमीट के उपयोग पर बड़े प्रतिबंध रहे हैं; न्यायालयों में चुनौती भी हुई है (Surrogacy Rules 2024 विश्लेषण).
दाता-गोपनीयता और दान से जन्मे व्यक्ति के अधिकार
भारत में दाता-पहचान सामान्यतः गोपनीय रहती है। क्लिनिक/बैंक चिकित्सा-इतिहास जैसी आवश्यक non-identifying जानकारी रखते/देते हैं, परंतु संतानों को दाता की पहचान बताने का कोई विशिष्ट वैधानिक अधिकार निर्धारित नहीं है—गोपनीयता अधिनियम/नियमों के तहत संरक्षित है (ढाँचा: Rules 2022; नीति-संदर्भ: PRS India).
चिकित्सीय मानक और सामान्य क्लिनिक-पाथवे
पंजीकृत केंद्र एचआईवी/हेपेटाइटिस B-C/सिफलिस आदि का अनिवार्य परीक्षण, गुणवत्तानियंत्रण, फ्रीजिंग/क्वारंटीन (जहाँ लागू), और लिखित सहमति के साथ प्रक्रियाएँ करते हैं; सभी चरणों का दस्तावेजीकरण और रजिस्ट्री को रिपोर्टिंग आवश्यक है (Rules 2022; राज्य/केंद्र FAQs: Kerala DHS ART FAQ 2025).
- परामर्श व सहमति (कानूनी/चिकित्सीय; मानक सहमति-फॉर्म)
- दाता-चयन एआरटी बैंक के माध्यम से—प्री-स्क्रीन किए गए गुमनाम दाता, मिलान/मैचिंग बैंक-नीति अनुसार (क्लिनिकल व्याख्या)
- तैयारी (साइकिल-मॉनिटरिंग/औषधियाँ)
- प्रक्रिया (IUI या IVF/ICSI, क्लिनिकल इंडिकेशन अनुसार)
- फॉलो-अप (प्रेग्नेंसी-टेस्ट; डिस्चार्ज सारांश; रजिस्ट्री रिपोर्ट)
कानूनी परिणाम: भरण-पोषण, कर और उत्तराधिकार
भरण-पोषण/कानूनी पितृत्व
पंजीकृत क्लिनिक-मार्ग और वैध सहमतियों के साथ दाता को न तो कानूनी अभिभावक माना जाता है, न ही उस पर अभिभावकीय दायित्व आते हैं। अनियमित/निजी व्यवस्थाओं में यह सुरक्षा नहीं रहती—विवाद उत्पन्न हो सकते हैं (सिद्धांततः ढाँचा: एआरटी अधिनियम).
कर-उपचार
एआरटी/आईवीएफ खर्चों का कर-उपचार परिस्थितिनिर्भर है; आयकर कानून के तहत सामान्य स्वास्थ्य-खर्च कटौतियाँ सीमित हैं। व्यक्तिगत मामलों के लिए टैक्स प्रोफ़ेशनल से परामर्श लें (नवीनतम परिपत्र/निर्देश देखें)।
उत्तराधिकार
उत्तराधिकार कानूनी मातृत्व/पितृत्व पर निर्भर करता है। क्लिनिक-मार्ग में दाता और बच्चे के बीच उत्तराधिकार-संबंध उत्पन्न नहीं होते; निजी/अनियमित सेट-अप में स्थिति विवादित हो सकती है।
आम भारतीय जोखिम—किस बात पर ध्यान दें
- होम-इंसिमिनेशन/ऑनलाइन “अनाम” दाता: मानक जाँच/ट्रेसेबिलिटी/कानूनी सुरक्षा नहीं—भरण-पोषण, गोपनीयता और चिकित्सीय विवाद का उच्च जोखिम।
- गलत/अधूरे सहमति-दस्तावेज: इच्छित अभिभावकत्व पर आंच; केवल पंजीकृत संस्थान के समुचित फॉर्म पर हस्ताक्षर करें और प्रतियाँ सुरक्षित रखें (धारा 22).
- क्रॉस-बॉर्डर उपयोग: आयात/निर्यात पर भारतीय नियम लागू; विदेश में अलग सीमाएँ/नीतियाँ हो सकती हैं—पहले से लिखित स्पष्टता लें (राष्ट्रीय पोर्टल).
- सरोगेसी में दाता-गैमीट: 2023/2024 के संशोधनों में कड़े प्रतिबंध—ताज़ा न्यायिक/नीतिगत स्थिति अवश्य जाँचें (Surrogacy Rules 2024 विश्लेषण).
RattleStork के साथ निजी मार्ग: अनुपालन-चेकलिस्ट (IN)
- डिजिटल प्लान करें, प्रक्रिया केवल पंजीकृत एआरटी क्लिनिक/बैंक में कराएँ (पंजीकरण/रजिस्ट्री जाँच).
- लिखित सहमति पहले से भरें; डिस्चार्ज सारांश/रसीदें/टेस्ट-रिपोर्ट सुरक्षित रखें (धारा 22–24).
- दाता-चयन/मैचिंग बैंक-नीति के अनुसार—पहचान गोपनीय रहेगी; मेडिकल-हिस्ट्री (non-identifying) तक पहुँच का तरीका लिखित में लें (Rules 2022).
- सरोगेसी/क्रॉस-बॉर्डर मामलों में अग्रिम कानूनी सलाह लें; ताज़ा नियम/अदालती आदेश देखें (अपडेट).

निष्कर्ष
भारत का मॉडल पंजीकृत एआरटी ढाँचे, दाता-गोपनीयता, सख्त स्क्रीनिंग/रिकॉर्डिंग और राष्ट्रीय रजिस्ट्री पर आधारित है। कानूनी सुरक्षा सही सहमति और दस्तावेज़-श्रृंखला से बनती है—न कि निजी, बिना-निगरानी व्यवस्थाओं से। आगे पढ़ें: एआरटी अधिनियम 2021, एआरटी नियम 2022, राष्ट्रीय एआरटी/सरोगेसी पोर्टल, तथा आयु/दाताओं पर संक्षेप: PRS India.

